पंजाब त्रासदी: भारत का अन्नागार कहा जाने वाला प्रदेश, आज राहत सामग्री पर है निर्भर 

चंडीगढ़(पंजाब)

अपने कृषि क्षेत्र,संस्कृति और व्यंजनों के लिए पहचाने जाने वाला पंजाब आज एक बड़े ही भयावह प्राक्रतिक संकट से जूझ रहा है। पाँच नदियों के लिए प्रसिद्ध प्रदेश आज उन्हीं का कहर झेल रहा है। पंजाब में आई इस साल की बाढ़ वहाँ की चार दशको में आई सबसे भयावह प्राक्रतिक आपदा है जिसने वहाँ की पृष्ठभूमि को झकझोर कर रख दिया है।बाढ़ ने प्रदेश के भूदृश्य और आजीविका दोनो पर बुरा प्रभाव डाला है। प्रदेश मे आई बाढ़ ने स्वास्थ्य संबंधित संकट को भी पैदा कर दिया है। पंजाब इस समय अपने सबसे बुरे संकट का सामना कर रहा है। प्रदेश मे आई बाढ़ से 1400 से अधिक गांव जलमग्न हो गए और उन सभी 23 जिलो को अधिकारिक तौर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। 2024 की बाढ़ रोकथाम तैयार गाइडबुक के बावजूद भी अधिकारी जरूरी निवारक उपाय लागू करने मे विफल रहे और परिणामस्वरूप बाढ़ का असर बत-से-बदतर हो गया। अधिकारियों की लापरवाही और सही समय पर रोकथाम न होने की वजह से आज प्रदेश इस संकट से जूझ रहा है जो पूरे देश के लिए किसी भयावह मंजर से कम नही है।


●क्यो आई पंजाब मे बाढ़

पंजाब मे आई बाढ़ का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है। मौसम संबंधी चेतनाओ के साथ शुरु हुआ यह संकट कब एक भयावह त्रासदी मे बदल गया जिसका कल्पना भी नही किया जा सकता था। हिमालय प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के उपरी क्षेत्रों मे भारी वर्षा और बादल फटने सहित तीव्र मानसूनी गतिविधियो के कारण वहाँ की नदियों के जलस्तर मे अत्याधिक वृद्धि हुई और पानी नीचे की तरफ बहने लगे। मैदानी क्षेत्र होने के कारण पंजाब की सतलुज,ब्यास और रावी जैसी नदियो का जलस्तर बढ़ गया और उससे सटे बांध और डैम पानी का जलस्तर रोकने मे असमर्थ रहे और परिणामस्वरूप प्रदेश मे बाढ़ आ गई और इस भयावह आपदा का सामना करना पड़ा।

●कृषि और आथिर्क तबाही

पंजाब मे आई बाढ़ ने प्रदेश के कृषि क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डाला है। प्रभावित क्षेत्रों मे 4 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि जलमग्न हो गई जिससे मौसमी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। संभावित है की इन फसलो को बाजार मे स्वीकार न किया जाए या बहुत ही कम दामो पर बिके जिससे किसानो को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़े। फसलों का इस स्तर पर नुकसान का असर आने वाले समय मे पूरे देश मे भी देखने को मिलेगा। बाजार मे अन्न की कमी की वजह से उनके दाम मे भी वृद्धि होने के भी आसार है। बाढ़ की वजह से फसलों की गुड़वत्ता भी खराब हो जाएगी, जिससे कृषि समुदाय पर आथिर्क दबाव और बढ़ गया है। अनुमान यह भी लगाया जा रहा कि अगर जल्द ही इस समस्या का निवारण नही किया गया तो उन क्षेत्रो मे नई फसल को बोना भी मुश्किल हो जाएगा।


●पूरे देश से मिल रहा है सहयोग 

अपने कृषि और खान-पान के लिए प्रसिद्ध प्रदेश आज राहत साम्रगियों पर निर्भर है। इस आपदा से प्रदेश को उभरने के लिए उन्हे आथिर्क और जरूरी राहत सामग्रियो को पहुंचाकर उनकी संभावित मदद की जा रही है। लगातार सेना के जवानो और एनडीआरएफ की टीमों के द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगो को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और राहत संबंधित साम्रगी का वितरण किया जा रहा है और इसमे पूरा देश एकजुट होकर उनका सहयोग भी कर रहा है। इस संकट के समय मे पंजाब को मदद की जरूरत है और इस कही न कही इस कहर से उभरने के बाद भी प्रदेश को आथिर्क और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओ का सामना करना पड़ेगा। 

 ●आपद प्रबंधन नीतियों की खामियों को उजागर करता है यह आपदा

 पंजाब बाढ़ एक त्रासदी तो है ही, साथ ही साथ सरकार की आपदा प्रबंधन नीति की खामियों को भी उजागर करती है। यह आपदा अधिकारियो का कुप्रबंधन और योजनागत विफलताओं का परिणाम है। जलवायु परिवर्तन, बांधों के कुप्रबंधन और अधिकारियो की लापरवाही ने बाढ़ को एक विनाशकारी घटना में बदल दिया जो आज पंजाब बुरी तरह झेल रहा है। प्राक्रतिक घटनाओं को रोका तो नही जा सकता है पर सही योजना बना कर उनसे होने वाले नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है। भविष्य मे इस तरह की आपदा को कम करने के लिए सरकार को बेहतर योजना बनाकर चलनी पड़ेगी मूल कारणों का समाधान करके ही भारत बाढ़ के इस खतरे से उबर सकता है एक आपदा-प्रतिरोधी भविष्य का निर्माण कर सकता है।

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The Forest Times
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