जामनगर(गुजरात)
गुजरात के जामनगर के वन्य पशु आश्रय स्थल ‘वनतारा’ के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मे सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को, आरोपों को निराधार बताते हुए क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने SIT की रिपोर्ट पर फैसला सुनाते हुए कहा कि वनतारा में जानवरों का अधिग्रहण और पुनर्वास नियमों के अनुसार किया गया है।
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि SIT अधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतोष व्यक्त किया है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि वनतारा अच्छा काम कर रहा है हमें इन अच्छी चीज़ों पर खुश होना चाहिए, अगर हाथी का अधिग्रहण कानून के मुताबिक हुआ है, तो इसमें गलत क्या है, इसलिए केंद्र को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।
क्या है वनतारा
‘वनतारा’ गुजरात के जामनगर मे स्थित एक वन्य पशु आश्रय केंद्र है जिसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से अनंत अंबानी द्वारा संचालित किया जाता है। 3,000 एकड़ में फैला यह केंद्र मे 2,000 से ज़्यादा प्रजातियों और 1.5 लाख से ज़्यादा बचाए गए और लुप्तप्राय जानवरों का घर है। इसे एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में डिज़ाइन किया गया है जिसमे प्राकृतिक आवासों के अनुरूप बाड़ें और वातावरण है, जिसमे सर्कस, कैद, अवैध व्यापार या दुर्घटनाओं से जानवरों को बचाकर रखा जाता है।

क्या था मामला
दरअसल, इस मामले में दो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं। एक वकील सीआर जया सुकीन और दूसरी देव शर्मा द्वारा। केंद्र पर नियमों के उल्लंघन और जानवरों को अवैध रूप से लाने के आरोप लगाए गए थे। यह मामला तब गरमाया जब महाराष्ट्र के कोल्हापुर से ‘माधुरी’ नाम की एक हथिनी को इस केंद्र में लाया गया।
जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि वनतारा में वन्यजीवों का अवैध स्थानांतरण होता है, हाथियों को अवैध तरीक से बंधक रखा जाता है और अन्य उल्लंघन किए जाते हैं। आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करने के लिए 25 अगस्त को एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करती है और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश देती है।

कौन-कौन थे जांच समिति मे शामिल
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी बी वराले की अध्यक्षता मे गठित इस जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर, हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी अनीश गुप्ता शामिल थे।
SIT रिपोर्ट की खास बातें
12 सितंबर को SIT अपने जांच की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करता है, जिसमे वनतारा में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं मिलती है। SIT रिपोर्ट के अनुसार-
●कानूनों का पालन: वनतारा मे वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 या कस्टम्स एक्ट 1962 जैसे कानूनों के उल्लंघन का कोई मामला सामने नहीं आया है। 275 हाथियों समेत 40,633 पशुओं के अधिग्रहण में कोई अनियमितता नहीं हुई है।
●पशु कल्याण: SIT ने इस पहलू पर निष्पक्ष विशेषज्ञों की भी मदद ली। उन्होंने पाया कि वनतारा में उपलब्ध सुविधाएं कई मायनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर से भी बेहतर हैं।
●जगह और मौसम: वनतारा के औद्योगिक क्षेत्र से नजदीक होने को लेकर जताई गई आशंका को भी SIT ने गलत बताया। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में कई प्रसिद्ध चिड़ियाघर औद्योगिक शहरों में हैं जिसके चलते कोई समस्या नहीं होती।
●संरक्षण कार्यक्रम: SIT ने वनतारा को पशुओं का निजी संग्रह बताने के आरोप को भी गलत कहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां एशियाई शेर, क्लाउडेड लेपर्ड, चीता जैसे कई दुर्लभ पशुओं की वंश वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है। लगभग 3000 लोग और विस्तृत सुविधाओं के ज़रिए प्राणियों को संरक्षण दिया जा रहा है।
●वित्तीय आरोप: SIT ने वनतारा पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप को निराधार बताया है। पानी के दुरुपयोग और कार्बन क्रेडिट की बिक्री जैसे आरोपों को भी तथ्यहीन कहा है।
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