पटना (बिहार)
समय से पहले आना होता है शुभ संकेत
बिहार मे इस साल ठंड के पहले प्रवासी पक्षी विभिन्न जगहों पर डेरा जमाने लगे है। आमतौर पर इन पक्षियो का आगमन अक्टूबर मे देखने को मिलता है, पर इस साल ये सितंबर के पहले हफ्ते मे ही बिहार के मैदानी इलाकों मे दिखाई देने लगे जिसे शुभ संकेत बताया जा रहा है।
कड़ाके की ठंड पड़ने के है आसार
एक्सपर्ट मानते है कि समय से पहले इन प्रवासी पक्षीयों का आगमन इस साल उत्तरी भारत मे कड़ाके ठंडे को दर्शाता है। मौसम वैज्ञानिको ने भी इस साल अक्टूबर से दिसम्बर के बीच ला-लीनो की संभावना जताई है। ला-लीनो की परिभाषा आमतौर पर ठंड से जुड़ी होती है।
क्या कहना है विशेषज्ञों का
राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र, पटना के अंतरिम निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने बताया कि इस बार प्रवासी पक्षियों का समय से पहले आना सर्दियों में कड़ी ठंड पड़ने की संभावना को दर्शाता है। साथ ही, इनकी संख्या में भी इजाफा होगा।
उन्होंने बताया कि बिहार के मैदानी इलाको मे ग्रे-हेडेड लैपविंग, कॉमन सैंडपाइपर, ग्लॉसी आइबिस, रेड-नेक्ड फाल्कन, स्टॉर्क-बिल्ड किंगफिशर और वाइट वैगटेल जैसे महत्वपूर्ण प्रवासी पक्षियां आते है। इस साल ये सितंबर के पहले सप्ताह में ही मैदानी इलाकों में देखे जा रहे हैं, जबकि पहले ये पक्षी सामान्यतः अक्टूबर के मध्य में दिखाई देते थे। इसके पीछे तापमान में बदलाव, मौसम की अनियमितता और जल-आवास के बेहतर संरक्षण जैसे कारण माने जा रहे हैं।
क्या होगे इससे फायदे
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव नदियों, तालाबों, जंगलों और खेतों जैसे प्राकृतिक आवासों की गुणवत्ता में सुधार का संकेत भी हो सकता है, जिससे पक्षियों को बेहतर रहने और प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिलेगी। इस प्रकार के सकारात्मक संकेत भविष्य में पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा मे बढ़ावा देगे।
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