कर्नाटक के हर वन में होंगे प्रशिक्षित सर्प रक्षक कर्मचारी

कर्नाटक

कर्नाटक सरकार ने वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने घोषणा की है कि जल्द ही राज्य के प्रत्येक वन क्षेत्र में सर्प बचाव कार्यों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। यह पहल लंबे समय से चली आ रही उस चुनौती का समाधान करेगी, जिसमें अक्सर अनुभवहीन स्वयंसेवकों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस कदम से वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-साँप संघर्ष को कम करने में बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।

अवैज्ञानिक तरीकों पर अंकुश

वर्तमान में, कर्नाटक में कई सांप बचावकर्ता शौक के तौर पर या निजी लाभ के लिए काम करते हैं, जिनके पास आवश्यक वैज्ञानिक प्रशिक्षण नहीं होता। ऐसी स्थिति में, साँप के साथ लापरवाही भरा बर्ताव होने, उसे नुकसान पहुँचाने या बचाव के दौरान खुद को ही जोखिम में डालने की संभावना रहती है। हाल ही में शिवमोगा में एक घटना सामने आई थी, जहाँ एक स्वघोषित सर्प बचावकर्ता ने अजगर को टेप से बाँध दिया था, जिससे उसकी जान खतरे में पड़ गई थी। इस तरह की घटनाओं ने प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता को रेखांकित किया।

व्यावसायिक प्रशिक्षण और विनियमन

विभाग अब इन कर्मियों को वैज्ञानिक तरीके से सांपों को पकड़ने, संभालने और सुरक्षित रूप से उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ने का प्रशिक्षण देगा। इसमें न केवल साँपों को पकड़ने की तकनीकें शामिल होंगी, बल्कि सांपों के व्यवहार और प्रजातियों की पहचान के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, इन प्रशिक्षित कर्मचारियों को प्रमाण पत्र भी जारी किए जाएँगे, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बचाव कार्य केवल अधिकृत और योग्य कर्मियों द्वारा ही किया जा रहा है। यह पहल साँप बचाव को एक व्यवस्थित और विनियमित प्रक्रिया में बदल देगी।

मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना

कर्नाटक के कई ग्रामीण और शहरी इलाकों में साँप का दिखना एक आम घटना है, जिससे लोगों में भय और घबराहट फैल जाती है। प्रशिक्षित कर्मचारी ऐसी स्थितियों में पेशेवर तरीके से काम करेंगे, जिससे घबराए हुए लोगों को सही सलाह मिलेगी और साँप को बिना किसी नुकसान के बचाया जा सकेगा। इससे न केवल साँपों की जान बचेगी, बल्कि साँप के काटने की घटनाओं में भी कमी आएगी, क्योंकि लोग गैर-पेशेवर तरीके से उनसे निपटने की कोशिश नहीं करेंगे।

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम

इस कदम का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह किंग कोबरा जैसी संरक्षित और लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। प्रशिक्षित कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि इन साँपों को सुरक्षित रूप से बचाया जाए और उन्हें उनके सही आवास में छोड़ा जाए। इससे अवैध व्यापार और इन प्रजातियों के शोषण पर भी रोक लगेगी। कर्नाटक के हर वन क्षेत्र में ऐसे प्रशिक्षित कर्मचारियों की मौजूदगी से राज्य का वन्यजीव संरक्षण तंत्र और भी मजबूत होगा, जो जैव विविधता के संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह एक दूरगामी फैसला है, जो राज्य के वन्यजीवों और नागरिकों, दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top