तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण की वजह भारत में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या बनकर सामने आया हैं। इस संघर्ष के कारण इंसान व जानवरों की मौत, फसल नुकसान, संपत्ति क्षति और मवेशियों के शिकार जैसी समस्याएं अक्सर सामने आती हैं।
इसी बढ़ती समस्या का समाधान खोजने और मानव व वन्यजीवों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने मिलकर “मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व पर राष्ट्रीय हैकाथॉन 2025” का आयोजन किया है।
यह हैकाथॉन केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक मंच हैं, जिसमें शामिल प्रतियोगिताओं कों मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या पर अपनें विचार व्यक्त करने का मौका मिलेगा।
मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुख्य कारण
●जनसंख्या वृद्धि और वन्यजीवों के आवास का विनाश: भारत की बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण वनों की कटाई करके कृषि भूमि और मानव आवासों का विस्तार हो रहा है, जिसकी वजह से वन्यजीवों के प्राकृतिक निवास स्थान नष्ट हो रहे हैं।
●वन्यजीवों की भोजन, पानी की तलाश: जंगल क्षेत्र की कमी के कारण वन्यजीव भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आते हैं, जिससे संघर्ष बढ़ता है।
हैकाथॉन की मुख्य तिथियां एवं पुरस्कार
■ तिथियां-:
●आवेदन पंजीकरण: 12 सितंबर 2025 से 27 सितंबर 2025 तक
●आवेदनों की स्क्रीनिंग: 28 सितंबर 2025
●प्रारंभिक दौर (ऑनलाइन): 29-30 सितंबर 2025
●ग्रैंड फिनाले (व्यक्तिगत रूप से): 5 अक्टूबर 2025 को (नई दिल्ली/देहरादून में)
■ पुरस्कार-:
●1st prize- ₹100,000 + ₹500,000 परियोजना अनुदान
●2nd prize- ₹60,000 + ₹300,000 परियोजना अनुदान
●3rd prize- ₹40,000 + ₹100,000 परियोजना अनुदान
●Other prizes- ₹10,000 का सांत्वना पुरस्कार
हैकाथॉन का उद्देश्य
आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी और सामुदायिक उपायों के माध्यम से ऐसे व्यावहारिक और नवीन समाधानों को खोजना है, जो मानव और वन्यजीवों के बीच के संघर्ष को कम कर सकें। यह हैकाथॉन युवाओं, छात्रों और गैर सरकारी संगठनों (NGO) को एक मंच प्रदान करेगा, जिसमें उन्हें इस जटिल समस्या पर समाधान पेश करने का मौका मिलेगा।
यह आयोजन वन्यजीवों के संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और उन समुदायों की आजीविका को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो जंगलों और वन्यजीवों पर निर्भर हैं।
हैकाथॉन के मुख्य विषय
●प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान: ड्रोन, मोबाइल ऐप, और सेंसर जैसी तकनीकों का उपयोग करके वन्यजीवों की आवाजाही पर नज़र रखना और मनुष्यों को जोखिम से बचाना।
●सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को शामिल करना और उन्हें संघर्ष शमन रणनीतियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाना।
●कृषि पद्धतियों में सुधार: ऐसी कृषि विधियों को बढ़ावा देना जो वन्यजीवों को आकर्षित न करें, जैसे कि बदलती फसल पद्धतियों के बजाय अधिक अनुकूलित कृषि तकनीकें अपनाना।
●जागरूकता और शिक्षा: मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
●वित्त और मुआवजा: प्रभावित समुदायों को होने वाले नुकसान की उचित भरपाई करना।
निष्कर्ष
यह राष्ट्रीय हैकाथॉन इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे प्रौद्योगिकी, नवाचार और सामुदायिक भागीदारी का उपयोग करके हम सबसे जटिल पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाने का वादा करता है, जहाँ मनुष्य और वन्यजीव न केवल एक साथ रह सकते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ फल-फूल भी सकते हैं।
हैकाथॉन से निकलने वाले समाधान भारत के संरक्षण मिशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकते हैं और देश के समृद्ध वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने में मदद कर सकतें हैं।
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