नीलगिरी (तमिलनाडु)
नीलगिरी में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का सहारा लेने का फैसला किया हैं। इस पहल में वन विभाग जिले के संवेदनशील हिस्सों में अत्याधुनिक एआई-संचालित कैमरे लगाने का काम करेगा। विशेष रूप से गुडालुर और पंडालुर क्षेत्र में जहां से मानव-वन्यजीव संघर्ष के सर्वाधिक मामलें सामने आते हैं। ये कैमरे न केवल जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे, बल्कि समय रहते अलर्ट भी जारी करेंगे जिससे किसी अप्रिय घटना को रोकने में मदद मिल सकें।
आखिर क्यों जरूरी हैं नीलगिरी में एआई-संचालित कैमरों को लगाना
वर्तमान समय मे नीलगिरी में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या बनकर सामने आया हैं। पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में मांसाहारी जानवरों के हमलों की घटनाओं में भी एका-एक वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कमी और जंगलो में भोजन और पानी का अभाव; वन्यजीवों को मानव बस्तियों में आने को मजबूर कर देती हैं, जो क्षेत्र मे बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुख्य कारण हैं। एआई तकनीक को अपनाने का उद्देश्य न केवल मानव जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है, बल्कि जानवरों को भी जवाबी कार्रवाई से बचाना है।

कैसे काम करेंगे ये कैमरे
एआई-संचालित कैमरा सिस्टम वन्यजीवों की हर गतिविधि को ट्रैक करेगा। जब कोई जानवर, मानव बस्तियों की ओर बढ़ेंगा, तो कैमरे उसकी तस्वीर खींचकर एआई सिस्टम को प्रोसेस करेगे। फिर एआई सिस्टम तुरंत उस जानवर की पहचान करके वन अधिकारियों के अधिकारियों को अलर्ट भेज देगा। इसके साथ ही कई जगहों पर स्पीकर और डिजिटल बुलेटिन बोर्ड भी लगाए जाएंगे, जो लोगों को जानवरों की मौजूदगी के बारे में सचेत करने में मदद करेगा।
पहले भी कई राज्यों मे सफल हो चुकी हैं यह पहल
तमिलनाडु के वन विभाग ने पहले भी इस तरह की तकनीक का सफल प्रयोग किया है। कोयंबटूर-पलक्कड़ रेलवे ट्रैक पर एआई- कैमरा निगरानी प्रणाली की मदद से हाथियों को रेलवे ट्रैक पर जाने से रोका जाता है, जिससे उन्हें ट्रेन से टकराने से बचाया जा सके, और राज्य सरकार द्वारा की गई यह पहल सफल भी साबित हुई हैं।इसी तरह मध्य प्रदेश के विभिन्न टाइगर रिजर्व में भी एआई कैमरों की मदद से शिकारियों को पकड़ने और वन्यजीवों के सुरक्षा की निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया गया हैं।

क्या रहेंगी इस पहल से उम्मीदें
इस पहल से उम्मीद यही है कि इन एआई-आधारित कैमरों की मदद से मानव-वन्यजीव संघर्षों को कम किया जा सके, और उनके बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा मिले। यह तकनीक वन अधिकारियों को समय पर कार्रवाई करने में मदद करेगी, जिससे दोनों पक्षों के नुकसान को कम करने की कोशिश की जा सके। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और वनकर्मियों को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई गई है।
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 28, 2025संजय टाइगर रिजर्व में न्यू ईयर का क्रेज, 5 जनवरी तक सभी सफारी बुकिंग हुईं फुल
UncategorizedDecember 28, 2025जंगली सूअर ने किया वन दारोगा पर हमला, हालत गंभीर
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
