विश्व नदी दिवस 2025: मानव जीवन की जीवनरेखा होती हैं नदियां

विश्व नदी दिवस हर साल सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है, इसी क्रम में इसे साल 2025 में 28 सितंबर को मनाया जा रहा हैं। इस साल यूएन द्वारा इसका विषय ‘नदियाँ: हमारा भविष्य’ को चुना गया हैं। विश्व नदी दिवस की शुरुआत कनाडा के पर्यावरणविद ‘मार्क एंजेलो’ ने 2005 में किया था। इसका उद्देश्य लोगों को नदियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। यह दिन नदियों के पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालती है, और प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक उपयोग से होने वाले खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाती है।

क्या हैं भारत मे नदियों का महत्व

भारत मे नदियों का महत्व केवल जलस्रोत ही नही, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण रहा हैं। वे हमारी धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का हिस्सा रही हैं। भारत को ‘नदियों की भूमि’ कहा जाता है, जहाँ गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा जैसी अनेक पवित्र और महत्वपूर्ण नदियाँ बहती हैं। गंगा नदी को हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र माना जाता है और देवी के रूप में पूजा जाता है। सिंधु नदी ने सिंधु घाटी सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं।

पानी का मुख्य स्रोत होती हैं नदियां

नदियाँ पृथ्वी पर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे पीने का पानी प्रदान करती हैं, कृषि और उद्योग के लिए आवश्यक हैं, और विभिन्न जलीय और स्थलीय प्रजातियों के लिए आवास का काम करती हैं। नदियाँ ताज़े पानी का स्रोत हैं, जो पौधों, जानवरों और मनुष्यों सहित सभी जीवन के लिए आवश्यक है। वे सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, मछली पकड़ने, पर्यटन और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं। लाखों लोगों की आजीविका सीधे नदियों पर निर्भर करती है और वे देश के कृषि क्षेत्र को जीवन देती हैं।

वर्तमान मे नदियों के सामने उभरती चुनौतियों

आज, नदियाँ कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं। प्रदूषण इनमें सबसे बड़ी समस्या है। औद्योगिक कचरा, शहरी सीवेज और कृषि में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ नदियों के पानी को जहरीला बना रहे हैं। इसके अलावा, बांधों का अत्यधिक निर्माण, अवैध रेत खनन, और अतिक्रमण भी नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण भी नदियों का जल स्तर और उनका प्रवाह अनियमित हो रहा है, जिससे बाढ़ और सूखे जैसी स्थितियाँ बढ़ रही हैं।

नदियों का संरक्षण हैं हमारा कर्तव्य

विश्व नदी दिवस पर दुनिया भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि नदियों को बचाना सिर्फ सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी का कर्तव्य है। हमें अपने दैनिक जीवन में पानी का सदुपयोग करना चाहिए, प्लास्टिक और कचरे को नदियों में डालने से बचना चाहिए और नदियों के संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। जब तक हर व्यक्ति इस दिशा में कदम नहीं उठाएगा, तब तक नदियों को बचाना संभव नहीं होगा। हमे मिलकर नदियों को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने का काम करना चाहिए। क्योंकि, नदियाँ हैं, तो मानव जीवन है।

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The Forest Times
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