विश्व पशु दिवस: मानव और पशुओं के बीच सह-अस्तित्व, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए है जरूरी

रोशनी, भोपाल (मध्यप्रदेश)

हर साल 4 अक्टूबर को विश्व भर में ‘विश्व पशु दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य पशुओं के कल्याण, अधिकार और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। विश्व पशु दिवस की शुरुआत 4 मार्च 1925, को जर्मनी के हेनरिक ज़िम्मरमैन ने की थी। बाद में साल 1931, से इसे 4 अक्टूबर को विश्व स्तर पर व्यापक रूप से मनाया जाने लगा। इस दिन को जानवरों के संरक्षक माने जाने वाले संत फ्रांसिस के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। साल 2025 के लिए विश्व पशु दिवस का शीर्षक “जानवरों को बचाओ, ग्रह को बचाओ” चुना गया है।

विश्व पशु दिवस का महत्व

विश्व पशु दिवस का महत्व सिर्फ एक दिन के उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पशुओं के प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी को याद दिलाता है। यह दिन हमें सिखाता है कि पशु भी संवेदनशील प्राणी हैं, और उन्हें भी क्रूरता और पीड़ा से मुक्त जीवन का अधिकार है चाहे वे पालतू जानवर हों, जंगली जानवर हो, या फिर वन्यजीव। इस दिन का उद्देश्य पशु कल्याण के प्रति जागरूकता बढ़ाना, मनुष्यों और पशुओं के बीच संबंध को मजबूत करना, पारिस्थितिकी तंत्र में जानवरों की भूमिका पर प्रकाश डालना और पशु क्रूरता को रोकना है।

पशु-मानव के बीच के सह-अस्तित्व है जरूरी

यह दिवस हमे इंसानों और जानवरों के बीच के सह-अस्तित्व की जरूरत को बताता है। पशु और मानव का सह-अस्तित्व प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वन्यजीवों का संरक्षण और पालतू पशुओं की देखभाल दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। हाल के वर्षों में, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अवैध शिकार जैसे कारकों के कारण कई पशु प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। विश्व पशु दिवस हमें इन चुनौतियों पर ध्यान देने और समाधान खोजने के लिए प्रेरित करता है।

पशुओ की सुरक्षा और संरक्षण है हमारी जिम्मेदारी

इस दिवस से हमे सीख मिलता है कि पशुओ की सुरक्षा और संरक्षण है हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य है। पशुओं के प्रति दया और करुणा दिखाना एक बेहतर और अधिक मानवीय समाज का निर्माण करता है।यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारा ग्रह सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है, बल्कि हम सभी जीवों के साथ इसे साझा करते हैं। पशुओं का कल्याण, अधिकार और उनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।

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The Forest Times
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