इस साल समय से पहले ही पहुँच रहे है अमूर बाज़

मणिपुर

दुनिया का सबसे लंबा समय तक यात्रा करने वाला प्रवासी पक्षी ‘अमूर बाज़’ इस साल समय से पहले ही पहुचने लगे हैं। उनका पहला झुंड मणिपुर के तामेंगलोंग जिले और नागालैंड के कुछ हिस्सों में वक्त से पहले ही दिखाई देने लगा हैं। मौसम वैज्ञानिक इसे ग्लोबल वार्मिंग का संकेत मान रहे हैं।

क्या है अमूर बाज की खासियत

अमूर बाज या अमूर फाल्कन, दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में पाए जाने वाला एक छोटा सा शिकारी पक्षी है, जो सर्दियों में लंबी दूरी तय करके अफ्रीका के तटों पर प्रवास करता है। इस दौरान वह हर साल वे अक्टूबर के मध्य से नवंबर के अंत तक पूर्वोत्तर भारत में उतरते हैं, खासकर मणिपुर और नागालैंड में। ये छोटे, लचीले पक्षी प्रवास के दौरान खुले समुद्र में बिना रुके उड़ने में सक्षम हैं।

प्रवास के दौरान भारत में इनकी गिनती और सुरक्षा के लिए वन्यजीव विभागों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रयास किए जाते हैं। इनकी संकटग्रस्त संख्या की वजह से इन्हे भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया हैं।

तामेंगलोंग जिला बनता है इनका पसंदीदा ठिकाना

ये प्रवासी पक्षी साइबेरिया, चीन और रूस से दक्षिणी अफ्रीका तक 20,000 किलोमीटर की यात्रा करके पहुँचते है। तामेंगलोंग जिला इन प्रवासी पक्षी अमूर बाज़ों (जिन्हें स्थानीय रूप से ‘अखुआइपुइना या तामुआनपुई’ कहा जाता है) की मेजबानी करता है, साथ ही कई गैर सरकारी संगठन, ग्राम प्राधिकरण और तामेंगलोंग जिले का युवा क्लब 2015 से लगातार इन प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को बढ़ावा दे रहे है। तामेंगलोंग इन लंबी दूरी के प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर है।

अमूर बाजों के संरक्षण मे किए जा रहे विभिन्न कार्य

इस वर्ष भी, वन विभाग, मणिपुर, भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से, चल रहे शोध कार्यों को जारी रखने के लिए तीन और अमूर बाज़ों को उपग्रह ट्रांसमीटरों से टैग करने जा रहा है। उनका आगमन राज्य सरकार के चल रहे वन्यजीव सप्ताह समारोह के साथ मेल खाता है, जो 8 अक्टूबर, 2025 को समाप्त होगा।

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The Forest Times
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