रेलवे स्टेशनों पर ‘तत्काल टिकट’ के लिए लगने वाली आम यात्रियों की लंबी कतारें अब ‘संगठित माफिया’ के निशाने पर हैं। भोपाल रेलवे स्टेशन से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक ‘तत्काल माफिया’ रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस रैकेट के सबूत के तौर पर आरोपी दलालों की तस्वीरें और एक ‘फर्जी लिस्ट’ भी सामने आई है, जिससे पता चलता है कि यह घोटाला हर रोज सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा है।
इस पूरी घटना का पर्दाफाश एक स्थानीय नागरिक रवि ने किया, जो खुद इस धांधली के भुक्तभोगी बने।
सबूत नंबर 1: ‘फर्जी लिस्ट’ में हमेशा टॉप पर रहते हैं वही नाम
प्रत्यक्षदर्शी रवि के अनुसार, वह और कई अन्य आम यात्री सुबह 4-5 बजे से ही तत्काल टिकट के लिए लाइन में लगे थे। 6-7 घंटे के लंबे इंतजार के बाद, जब काउंटर खुलने का समय नजदीक आया, तो इस गिरोह ने अपना खेल शुरू कर दिया।
रवि ने बताया, “अचानक दो लोग आए और उन्होंने अपनी एक अलग ‘फर्जी लिस्ट’ पेश कर दी। हमने जब उस लिस्ट को देखा, तो उसमें वही गिने-चुने नाम सबसे ऊपर थे जो कथित तौर पर हर रोज टिकट दलाली करते हैं।”
इस ‘फर्जी लिस्ट’ से यह स्पष्ट होता है कि यह कोई एक दिन की घटना नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह है जो पहले से ही अपने नाम तय करके रखता है। आम यात्रियों को, जो घंटों से इंतजार कर रहे थे, उनके नाम इस लिस्ट में सबसे नीचे डाल दिए गए।

सबूत नंबर 2: तस्वीरें और पार्किंग स्टाफ ‘मास्टरमाइंड’
जब आम यात्रियों ने इस ‘फर्जी लिस्ट’ का विरोध किया, तो 8-10 लोगों के एक समूह ने उन पर दबाव बनाया और बदसलूकी की। इस पूरी घटना की तस्वीरें नागरिकों ने अपने कैमरे में कैद कर लीं।
इन तस्वीरों में, सफेद स्वेटशर्ट पहने एक युवक (जो कथित तौर पर गिरोह का सदस्य है) और अन्य लोग आम यात्रियों से बहस करते और अपनी ‘लिस्ट’ को जबरन लागू करवाते दिख रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाया कि इस पूरे रैकेट को टिकट रिजर्वेशन सेंटर के ठीक बाहर काम करने वाला एक पार्किंग कर्मचारी नियंत्रित करता है, जो खुद को बचाने के लिए पर्दे के पीछे से काम करता है।

139 पर शिकायत के बाद भी नहीं रुका ‘खेल’, टिकट बाबू पर मिलीभगत का आरोप
जब ‘तत्काल माफिया’ के लोगों ने आम यात्रियों के साथ बदसलूकी की, तो मौके पर मौजूद रवि ने तुरंत रेल मदद हेल्पलाइन 139 पर शिकायत दर्ज कराई। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और अनधिकृत दलालों को वहां से हटाया।
पुलिस की कार्रवाई के बाद, रवि को काउंटर पर पहला नंबर मिल गया। लेकिन ‘माफिया’ का असली खेल तो अब शुरू होना था, जो काउंटर के अंदर से चल रहा था। रवि ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि काउंटर पर बैठे रेलवे टिकट एग्जीक्यूटिव की इन दलालों के साथ सीधी मिलीभगत है।
रवि के अनुसार, “सुबह ठीक 11 बजे, जब मैं पहले नंबर पर था, टिकट एग्जीक्यूटिव ने मेरा फॉर्म लेने से इनकार कर दिया और बहाने बनाकर मुझे टालता रहा। इसी बीच, उसने उन टिकट दलालों के फॉर्म ले लिए जिन्हें पुलिस ने भगाया था और उनकी टिकटें बना दीं।” कुछ ही मिनटों के भीतर, पहले नंबर पर खड़े यात्री को जवाब मिला कि “टिकटें खत्म हो गईं।”
नई मांग: रेल मंत्रालय और DRM CCTV फुटेज के आधार पर करें कार्रवाई
इस घटना ने रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रत्यक्षदर्शी आदित्य और अन्य यात्रियों ने रेल मंत्री, भोपाल रेल मंडल प्रबंधक (DRM) और रेलवे पुलिस (GRP/RPF) से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
यात्रियों की मांग है:
- CCTV फुटेज की जांच: रिजर्वेशन सेंटर के अंदर और बाहर के CCTV फुटेज की तुरंत जांच की जाए। इससे पता चल जाएगा कि टिकट एग्जीक्यूटिव ने पहले नंबर पर खड़े यात्री को छोड़कर किन लोगों की टिकटें बनाईं।
- दस्तावेजों की जांच: पुलिस द्वारा हटाए जाने के बावजूद दलालों के टिकट कैसे बने? इस “फर्जी लिस्ट” और तस्वीरों में दिख रहे चेहरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की जाए।
- कठोर कार्रवाई: इस पूरे रैकेट में शामिल पार्किंग स्टाफ और संदिग्ध रेलवे टिकट एग्जीक्यूटिव के खिलाफ विभागीय जांच बैठाकर उन्हें तुरंत निलंबित किया जाए।
नई प्रणाली का सुझाव: सिर्फ परिवार के लिए वैध दस्तावेजों पर मिलें तत्काल टिकट
आम यात्रियों का सुझाव है कि इस माफिया को जड़ से खत्म करने के लिए तत्काल टिकट के नियमों में बदलाव की सख्त जरूरत है। दलाल इसलिए सक्रिय हैं क्योंकि वे किसी के भी नाम पर टिकट बुक कर सकते हैं।
सुझाव यह है कि काउंटर तत्काल टिकट बुकिंग को आधार या अन्य वैध सरकारी दस्तावेजों के वेरिफिकेशन से जोड़ा जाए। नियम यह होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने लिए या अपने परिवार के सदस्यों (जिनका वैध आईडी प्रूफ उसके पास हो) के लिए ही टिकट बुक कर सके। इस कदम से फर्जी नामों पर टिकट बुकिंग बंद हो जाएगी और दलालों का नेटवर्क अपने आप टूट जाएगा।
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