बालाघाट (मध्यप्रदेश)
वन विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है, जब एक मृत बाघिन का अंतिम संस्कार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के निर्धारित प्रोटोकॉल के बिना कर दिया गया। इस घटना के बाद बालाघाट दक्षिण सामान्य वनमंडल के डीएफओ अशोक गुप्ता ने डिप्टी रेंजर रतनलाल कुमरे और वनरक्षक मुकेश चौधरी को निलंबित कर दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
गत सप्ताह बहिलाटुकुर बीट की पेट्रोलिंग नहर के पास एक बाघिन का शव बहकर आया था। प्रोटोकॉल के अनुसार, मृत शरीर की तस्वीरें ली जानी चाहिए, पोस्टमार्टम किया जाना चाहिए और शव का वैज्ञानिक तरीके से अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया।

निलंबन और जांच
डीएफओ अशोक गुप्ता ने बताया कि जांच जारी है और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। लगभग 27 सुरक्षा श्रमिकों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें हरिरलाल, शिवकुमार, सूर्यप्रकाश, मनीष, दीपेन्द्र सलाम, दीपक्न सलाम, तिलक राज और अन्य शामिल हैं।
बाघ मृत्युपरांत प्रोटोकॉल
NTCA के नियमों के तहत बाघ या तेंदुए की मृत्यु की स्थिति में निम्नलिखित प्रक्रियाएं अनिवार्य हैं:
- घटनास्थल की फ़ोटोग्राफ़ी
- पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा पोस्टमार्टम
- शव संरक्षण व दस्तावेजीकरण
- वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार
इन सभी चरणों का अनुपालन न केवल पारदर्शिता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि मृत्यु प्राकृतिक है या अवैध शिकार का मामला है।

लापरवाही
यह घटना न केवल विभागीय लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण प्रयासों पर भी सवाल खड़े करती है। मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या गर्व का विषय रही है, परंतु इस प्रकार की घटनाएं उनके संरक्षण के प्रति उदासीनता दर्शाती हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा केवल कागज़ी प्रोटोकॉल नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज़िम्मेदारी है। आशा है कि जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को उचित दंड मिलेगा।
इनका कहना हैं
साधारणतः डिप्टी की इतनी हिम्मत नहीं होती यदि पुराना अपराधिक रिकॉर्ड है तो कर सकता है।इनका नार्को टेस्ट हो
अजय दुबे
…
टाइगर की मौत पर फॉरेस्ट अफसरों की चुप्पी और सबूत मिटाने की कोशिश की हैं ऐसा प्रतीत होता हैं
वन्यप्रेमी
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